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TDS Kya Hota Hai? | TDS in Hindi | Learn More -2022

दोस्तों आपने अकसर TDS के बारे मे तो सुना ही होगा लेकिन क्या आपको मालूम है TDS Kya Hota Hai? TDS Kyun Lagaya Jata Hai? और TDS Kispe Lagaya Jata Hai?

अगर नहीं, तो घबराने की बात नहीं है आज के इस आर्टिकल मे आपको TDS से जुड़ी हर जानकारी के बारे मे मालूम हो जाएगा। और TDS Kya Hota Hai आप भी अपने दोस्तों या लोगों को बता पाएंगे और उन्हे TDS के बारे मे सही जानकारी भी दे पाएंगे।

तो चलिए बिना समय गवाएं स्टार्ट करते है आज का TDS का टॉपिक और समझते है TDS Kya Hota Hai?

Income Tax Kya Hota Hai

जैसा की हम सभी को पता है, भारत सरकार (Governement of India) के नियम अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को हर वित्तीय वर्ष (Financial Year) में कमाई की गई आय (Earned Income) पर अगले वित्तीय वर्ष जिसे आकलन वर्ष  (Assesstemnt Year) भी कहते है, में कर खंड (Tax Slab) के अनुसार कर (Tax) देना होता है। और यह कर वसूलने (Tax Collection) का काम आयकर विभाग (Income Tax Department) द्वारा किया जाता है।

आयकर विभाग, जिसे IT विभाग या ITD भी कहा जाता है। यह भारत सरकार का प्रत्यक्ष कर (Direct Tax) संग्रह करने वाली एक सरकारी एजेंसी है। यह वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग के अंतर्गत कार्य करता है।  आयकर विभाग का नेतृत्व केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT- Central Board of Direct Taxes) करता है। आयकर विभाग की मुख्य जिम्मेदारी विभिन्न प्रत्यक्ष कर कानूनों को लागू करना है, इनमें से सबसे महत्वपूर्ण है आयकर अधिनियम, 1961 (Income-tax Act, 1961), और भारत सरकार के लिए राजस्व एकत्र करना। यह बेनामी लेनदेन (निषेध) अधिनियम, 1988 (Benami Transactions (Prohibition) Act, 1988) और काला धन अधिनियम, 2015 (Black Money Act, 2015) जैसे अन्य आर्थिक कानूनों को भी लागू करता है।

आयकर विभाग (Income Tax Department) कर (Tax) को निम्न तरीको से वसूलने का कार्य करती है।

  • TDS: TDS (Tax Deducted at Source) एक तरह से आयकर (Income Tax) जमा या वसूलने का तरीका है। इसे एक उद्देश्य के साथ लाया गया था, जिसमे यह आय के स्रोत (Income Source) से कर (Tax) जमा करने का कार्य करता है। जिसे हम आगे संछिप्त में जानेंगे।
  • TCS: TCS (Tax Collected at Source) स्रोत पर कर लेने का एक तरीका है। एक विक्रेता द्वारा देय कर होता है। जिसे वह बिक्री के समय खरीदार से एकत्र (Collect) करता है। TCS आयकर अधिनियम की धारा 206 सी के तहत सामान (Goods) को निर्दिष्ट करता है जिस पर विक्रेता को खरीदार से कर एकत्र (Tax Collect) करना होता है।
  • Advance Tax: Advance Tax का मतलब है कि आयकर (Income Tax) को साल के अंत में एकसाथ भुगतान करने के बजाय एडवांस में ही भर देना। यानी आप जब कोई आय कमाते है उसके ऊपर तुरंत ही कर का भुगतान कर देना। ये भुगतान आयकर विभाग द्वारा उपलब्ध कराई गई नियत तिथियों के अनुसार किस्तों में भरना होता है।
  • Self Assessment Tax: वर्ष के अंत में, यदि कोई कर का भुगतान करना आवश्यक है तो उसे आईटी रिटर्न (ITR) भरने से पहले भुगतान करना होता है। आपके द्वारा गणना की गई अंतिम देयता (Tax Liability) को Self Assessment Tax (स्वयं मूल्यांकन कर) कहा जाता है। यह गणना अंतिम है। जिसके बाद आईटी अथॉरिटी को यह जांचना जरूरी है कि निर्धारिती (Assessee) ने सही तरीके से गणना की है और अपनी आय का खुलासा किया है।

Tax Deducted At Source: TDS Kya Hota Hai

TDS जिसका फूल फॉर्म Tax Deducted At Source होता है। TDS (Tax Deducted at Source) एक तरह से आयकर (Income Tax) जमा या वसूलने का तरीका है। इसे एक उद्देश्य के साथ लाया गया था, जिसमे यह आय के बहुत स्रोत से कर जमा करने का कार्य करता है। TDS को इस मैप के जरिये हम और डीटेल मे समझेंगे। तो चलिए समझते है TDS काम कैसे करता है?

TDS (Tax Deducted At Source)
  • A: यहाँ पे एक Employer अपने Empoyee को उसका वेतन दे रहा है। जिसमे से वह सरकार के नियम के अनुसार TDS को काट के बची हुए वेतन की राशि Empoyee को दे रहा है। अब यहाँ पे Empoyer जिसने TDS काटा वह Deducter हो गया और Employee जिसका TDS कटा वह Deductee हो जाएगा।
  • B: उसके बाद Deducter यानी Employer ने जो TDS काटा था उसे आयकर विभाग के पास जमा कर देता है।
  • C: आयकर विभाग के पास TDS जमा करने के बाद Deductor, Traces (जो की आयकर विभाग का एक पोर्टल है) पर TDS Return File करेगा। जिसमे काटे हुए TDS से सम्बंधित सारी जानकारी देगा, जैसे Deductee का नाम, उसका PAN , अपना नाम, TAN नंबर, पता आदि।
  • D: Traces पोर्टल पे TDS Return File करने पर Deductor को Form 16/ Form16A मिलता है।
  • E: जो Form 16/ Form16A Deducter को Traces पोर्टल से मिला है वह Deductee को एक लिखित प्रमाणपत्र के रुप देता है कि जो TDS उसकी वेतन से काटा गया है वो आयकर विभाग के पास जमा कर दिया गया है और जिससे Deductee भविष्य मे ITR फाइल करते समय इस्तेमाल कर सके।
  • F: Traces पोर्टल से ही आयकर विभाग को Form 26AS मिलता है, जिसमे Deductee और उससे लिए गए सभी कर(Tax) की सारी जानकारी होती है।
  • G: अब साल के आखिर में जब Deductee अपना ITR (Income Tax Return) फाइल करेगा और :
    • यदि उसका Tax Liability कुछ भी नहीं है,  तो उससे कटा हुआ TDS उसको Return कर दिया जायेगा।
    • यदि उसका Tax Liability, Tax Slab के ज्यादा है तो में से TDS घटा के बचा हुए राशि कर (Tax) के रूप में देनी होगी

TDS प्रक्रिया के तहत कुछ महत्वपूर्ण पार्टी

  • Deductee / Payee: वह व्यक्ति होता है जो किसी विशिष्ट प्रकार की आय अर्जित करता है और उसकी अर्जित की हुई आय पर TDS काटा गया है।
    Deductee निम्न प्रकार के होते है।  यदि आपको यह पता करना कि Deductee निम्न मे से किस प्रकार है, तो आप उसके PAN Card के चौथे अक्षर को देख के आप पता कर सकते है। जैसे किसी Deductee का PAN Card नंबर CYIPC1234B है, तो इसके चौथे अक्षर C को देख के हम बात सकते है की वह Company है। 
यदि PAN कार्ड का चौथा अक्षरType Of Deductee
PIndividual or a Person
CA Company
HHindu Undivided Family
FA Firm
AAssociation of persons
TTrust
BBody of Individuals
LLocal authority
JArtificial juridical person
GGovernment
  • Deductor / Payer: यह व्यक्ति या संगठन होता है।  जो सरकार के नियम अनुसार किसी विशिष्ट प्रकति का भुगतान करने पर TDS काटता है और आयकर विभाग के पास जैम करता है।
  • Traces: आयकर विभाग का पोर्टल होता है। जहाँ पर Deductor को TDS Return file करना होता है और काटे गए TDS और Deductee को पूरी जानकारी देनी है। जिसके परिणामस्वरुप Deductor को Traces पोर्टल से Form 16/16A प्राप्त होता है। जिसे Deductor को वह Form Deductee को देना होता है। जो एक तरह का सबुत होता है की Deductor ने Deductee की आय से जो TDS काटा है उसे आयकर विभाग के पास जमा कर दिया है।

TDS प्रमाणपत्र (TDS Certificate)

जब भी किसी व्यक्ति के आय से TDS काटा जाता है तो उसी आय के अनुसार उसे TDS प्रमाणपत्र या Form प्राप्त होता है। जिन्हे हम नीचे संक्षिप्त मे समझेंगे। 

Form 16 (Salary Income) – एक दस्ता/वेज और एक तरह का प्रमाणपत्र होता है कि संगठन (Employer) ने कर्मचारी (Employee) के वेतन (Salary) से TDS काटा है और TDS को आयकर विभाग के पास जमा किया गया है। यदि वेतन से TDS कटा जा रहा है तो Deductor को  TDS Return सालना (Annually) भरना होता है। जिसपर उसे Form 16 प्राप्त होता है। Form 16 सिर्फ वेतन (Salary) पर TDS कटने पे प्राप्त होता है। इस फॉर्म को दो भागो में बाँटा गया है:

  • Part A: इस भाग में हमें संगठन (Employer) द्वारा कर्मचारी (Employee) के वेतन(Salary) से एकत्र किए गए कर (Tax) का एक सारांश मिलता है और एकत्र किए गए कर (Tax) को आयकर विभाग के पास जमा किया गया है यह पता चलता है।
  • Part B: Part B में वेतन के भुगतान (Salary Payment), कर बकाया यदि कोई हो (Tax payable if any), और कर्मचारी या संगठन (Employee or Employer) द्वारा प्रकट की गई कोई अन्य आय (Other Incomer) जैसे विवरण शामिल होते हैं।

Form 16A (Non-Salary Income): Form 16A TDS प्रमाणपत्र है। जो आयकर विभाग के साथ जमा TDS, विशिष्ट प्रकृति का भुगतान और TDS भुगतान की राशि को दर्शाता है। Form16A गैर-वेतन आय (Non Salary Income) पे TDS काटने पे प्राप्त होता है, जैसे बैंक ब्याज (Bank Interest), किराये के भुगतान (Rent), कमीशन कमाया (Commission Earned) आदि। Deductor को TDS Return को तिमाही (Quarterly) भरना होता है। जिसपर उसे Form 16A प्राप्त होता है। जो वह Deductee को एक प्रमाणपत्र के रूप में देता है।

Form 16B (Sale of Property): Form 16B, TDS प्रमाणपत्र है। Form16B किसी प्रॉपर्टी को बेच कर कमाए हुए आय पे TDS काटने पे प्राप्त होता है। Deductor को TDS Return file को जिस समय लेनदेन हुआ है उसी समय ही भरना होता है, जिसपर उसे Form 16B प्राप्त होता है। जो वह Deductee को एक प्रमाणपत्र के रूप में देता है।

Form 16C (Rent Income): Form 16C, TDS प्रमाणपत्र है। Form16C किसी किराये के रूप मे कमाए हुए आय पे TDS काटने पे प्राप्त होता है। Deductor को TDS Return file को जिस समय लेनदेन  हुआ है उसी समय ही भरना होता है, जिसपर उसे Form 16C प्राप्त होता है। जो वह Deductee को एक प्रमाणपत्र के रूप में देता है।

Form 26AS: Form 26AS एक वार्षिक विवरण है, जिसमें TDS, TCS, आपके द्वारा भुगतान किए गए अग्रिम कर (Advance Tax), स्व-मूल्यांकन कर (Self Assessment Tax) भुगतान के बारे में सारी जानकारी होती है। साथ ही वित्तीय वर्ष के दौरान आपको जो रिफंड मिला है और नियमित मूल्यांकन कर जो आपने जमा किया है उसके बारे में जानकारी होती है। म्युचुअल फंड, शेयर इत्यादि के बारे में अब तक के उच्च मूल्य के लेन-देन से संबंधित जानकारी उपलब्ध होती है। यह एक तरह का महत्वपूर्ण फॉर्म होता है जिसका खास उपयोग ITR फाइल करते समय काफी जरूरी होता है। यह फॉर्म दर्शाता है कि पुरे वित्तीय वर्ष के दौरान आपसे कितना कर के वसूला गया है।

PAN Card से जुड़ी जानकारी भी पढे:

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